मनुष्य के निर्माण में सबसे महत्वपूर्ण चीज क्या है ? वायु, जल, पानी, भोजन परंतु क्या हो अगर हम इन सब के साथ में छेड़खानी कर दें मनुष्य ने अपनी तरक्की की है वह न पृथ्वी, आकाश तक सीमित रहा उसने और भी इतने सारे आविष्कार किए हैं जो आज के आधुनिक युग में बहुत जरूरी भी है और नुकसान देह भी
परिवर्तन ही प्रकृति का नियम हैं:
परिवर्तन एक संभावित रूप है जब यह होता है तो हम इसे एक अवसर के रूप में देखते हैं परंतु जब परिवर्तन अप्रत्याशित रूप से होता है तो हम इसे सुधार भी सकते हैं जिसको बदलने की आवश्यकता है उसे बदलने के लिए
जैसे पहले हम जंगलों में रहते थे कच्चा भोजन करते थे उसके बाद मनुष्य ने धीरे-धीरे कच्चा मकान पक्का मकान आदि बनाना शुरू किया और उसमें रहना शुरू किया वैसे ही उसने धीरे-धीरे खेती के अलग-अलग तरीके निकाले अलग-अलग फसलों, अलग-अलग मौसम में खेती करने लगा.
उसके बाद उसे एहसास हुआ कि वह इसमें और भी बहुत कुछ कर सकता है अपनी पैदावार को बढ़ा सकता है ज्यादा मुनाफा कमा सकता है आदि
फिर समय आया केमिकल्स का
सिंथेटिक केमिकल यह वह केमिकल होता है जो हमें नेचर से नहीं मिलता हमने इसे खुद बनाया है
आप हर रोज कितने केमिकल खाते हैं तो क्या आप बता पाएंगे एक रिसर्च के अनुसार इंसानी शरीर में 300 से अधिक सिंथेटिक केमिकल पाए गए हैं
पहले कहा जाता था कि बच्चा अपनी किस्मत अपने साथ लाता है पर अब तो बच्चा केमिकल अपने साथ लाता है
समंदर में रहने वाली ह्वेल हों, बर्फ में रहने वाले पोलर बेयर या हम इंसान, सब एक मुसीबत से गुजर रहे हैं: घटती फर्टिलिटी. और इन सबकी वजह है हमारी जलवायु जो दिन-प्रतिदिन बदल रही है हमारे खाने में मौजूद वो केमिकल, जो हमारे Hormone Imbalance कर रहे हैं और हमें कैंसर जैसी बीमारियां दे रहे हैं. 2012 में WHO ने एक रिपोर्ट में इन रसायनों के खतरों से हमें आगाह किया था. इन्हें Endocrine-Disrupting Chemicals या EDC कहा जाता है.
EDC का सबसे बुरा असर छोटे बच्चों और भ्रूण पर पड़ता है. इनके संपर्क में आ कर बच्चों को ऐसी बीमारियां हो सकती हैं, जो ज़िंदगी भर उनका पीछा नहीं छोड़तीं.
मनुष्य में 50 से अधिक हार्मोन पाए जाते हैं और इन सब का अपना एक काम होता है कोई नींद के लिए काम करता है कोई खाने को पचाने के लिए तो कोई मेटाबॉलिज्म आदि में काम करते हैं शरीर ढंग से काम कर सके इसलिए इन हम उसका सही तरीके से काम करना जरूरी है
ईडीसी स्वाभाविक रूप से मानव निर्मित पदार्थ है जो मनुष्य के शरीर में हार्मोन विशेष रूप से एस्ट्रोजन,एण्ड्रोजन, और थायराइड के कामों की नकल करते हैंजिससे जो असली वाले हम उनसे वह अपना काम करना बंद कर देते हैं वह उन कामों को डिस्टर्ब करते हैं और मनुष्य के सामान्य कार्यों को प्रभावित करते हैं
1. एस्ट्रोजन हार्मोन क्या है
एस्ट्रोजन एक सेक्स हार्मोन है जो महिलाओं के यौन और प्रजनन स्वास्थ्य पर असर पड़ता है एस्ट्रोजनएक आवश्यक हार्मोन है जो महिलाओं के मासिक धर्म के कार्य को संभालता है और यह प्रजनन स्वास्थ्य में भी अहम भूमिका निभाते हैं यह हार्मोन महिलाओं को कंसीव करने में मदद करता है और उसके बाद मिसकैरेज से बचाने में अहम भूमिका निभाता है
2.एण्ड्रोजन (Androgen)
सेक्स हार्मोन का एक समूह है। इस हार्मोन के मदद से ही व्यक्ति प्यूबर्टी (किशोरअवस्था) में प्रेवश करता है। प्यूबर्टी एक ऐसी अवस्था है जो बचपन और वयस्कता के बीच होती है। इसलिए लड़के और लड़कियाँ दोनों ही में सामान्य तौर पर प्यूबर्टी उनके किशोरावस्था के दौरान आती है।
लड़कों में, प्यूबर्टी 12 से 16 की उम्र के बीच होती है, जबकि लड़कियों में यह आजकल 10 से 14 की उम्र के बीच देखने को मिलती है। पहले यह उम्र ज्यादा होती थी महिला और पुरुष दोनो के बॉडी में एण्ड्रोजन बनते हैं, लेकिन पुरुष सबसे ज्यादा एंड्रोजन बनाते हैं।
3. थायरॉयड
एक बड़ी ग्रंथि है जो पुरुषों और महिलाओं दोनों के गले में स्थित होती है।एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है थायराइड हार्मोन से चयापचय को भी नियंत्रित करते हैं। यदि किसी मनुष्य में व्यक्ति को पाचन में परेशानी होती है थकावट होती है मांसपेशियों की कसावट में कमी होने लगती है मूड हमेशा बदला हुआ रहता है या अचानक से उसका वजन बहुत ज्यादा बढ़ गया है तो यह सब थायराइड डिस्टर्ब होने के कारण होता है महिलाओं इससे अधिक प्रभावित क्यों होती है
अगर यह Hormone Imbalance हो गए तो होगा क्या
1.गर्भवती महिलाओं, बच्चों और किशोरों पर हार्मोन को नुकसान पहुंचाने वाले रसायनों का ज्यादा बुरा असर पड़ता है
2.अगर किसी महिला के हार्मोंस परिवर्तित हुए तो उसका मूड खराब होगाष इसके साथ ही शरीर में अधिक बाल उगले लगेगे, सम से पहले उम्र बढ़ जाना इसके अलावा असंतुलन बांझपन भी हो सकता है।
3.वहीं अगर किसी पुरुष के हार्मोंस परिवर्तित हुए तो चिड़चिड़ापन, अपोजिट सेक्स के प्रति रुचि में कमी और इन्फर्टिलीटी जैसे लक्षण नजर आएगे। इसके अलावा असंतुलन से हाथ-पैर में हमेशा दर्द होने लगता है
फास्ट फूड में रसायनों के समूह फेथेलेट मनुष्यों में Hormone Imbalance को बढ़ाते हैं और इनसे स्वास्थ्य संबंधी बहुत समस्याएं होती हैं।
यह किन-किन चीजों में मिलता है
आजकल के आधुनिक आयुर्वेदिक प्रोडक्ट मैं यह सब Fruits & Herbs आराम से आपको कोल्ड प्रेस शुगर फ्री मिल जाते हैं आप खुद इनका चयन करके. इनका उपयोग रोज के प्रोटीन विटामिन मिनरल्स की पूर्ति के लिए कर सकते हैं
आप अपनी एक छोटी सी टमैटो केचप की बोतल उठाकर देख लीजिएगा जो भी पैकेट फूड भोजन आता है जिसमें प्रिजर्वेटिव डाले जाते हैं उन सब में यह मिलता है चिप्स नमकीन प्लास्टिक की बोतल मेकअप कीटनाशक दवाइयां आदि इन सब में मिलता है कुछ नाम जो आप खुद भी चेक कर सकते हैं
- Acidity regulator
2. Stabilizers
3. Preservatives
4.Thickeners(here are 39 kinds of thickeners )
5.Synthetic food colors. आदि
तो फिर इन सब का यूज क्यों होता है
Bisphenol (BPA) बिस्फेनॉल ए (बीपीए) का उपयोग किया जाता है। इस प्रकार के प्लास्टिक का उपयोग कुछ प्रकार के पेय कंटेनर, कॉम्पैक्ट डिस्क, प्लास्टिक डिनरवेयर, उपकरण, ऑटोमोबाइल पार्ट्स और खिलौने बनाने के लिए किया जाता है।
2.पैराबेन (Parabens) आजकल हर किसी को सुंदर देखना है और इसके लिए कॉस्मेटिक चीजों का ज्यादा समान होता है आजकल आपने देखा होगा ब्यूटी प्रोडक्ट दिन दुगनी रात चौगुनी तरक्की कर रहे हैं
ऐसा ही एक कैमिकल है पैराबेन, जो आमतौर पर कॉस्मेटिक वस्तुओं में इस्तेमाल किया जाता है ताकि उत्पादों की उम्र को बढ़ाया जा सके। तभी आपने देखा होगा कि आमतौर पर ब्यूटी प्रोडक्ट्स को आप तीन साल तक इस्तेमाल कर सकते हैं। दरअसल, पैराबेन का इस्तेमाल प्रोडक्ट को बैक्टीरिया और फंगस से बचाने के लिए किया जाता है।
3.phthalate,यह प्लास्टिक की चीजों में यूज होता है खासकर बच्चों के खिलौनों में
4.pesticides इसका तो आप सभी जानते हैं खेती बढ़ाने के लिए खेती को कीड़ों से सुरक्षित रखने के लिए दूध आदि बढ़ाने के लिए इसका यूज किया जाता है
यह कहना मुश्किल है कि कौन सा केमिकल किस तरीके से रिएक्शन करता है आपकी बॉडी में पर हां एक स्टडी में पाया गया है कि पुरुषों में इनफर्टिलिटी बहुत ज्यादा घट गई है साथ में डायबिटीज, आदि की बीमारी भी बहुत ज्यादा बढ़ गई है फिर बारी आती है खराब लाइफ लाइफ़स्टाइल की
तो फिर खुद को इनसे बचाएं कैसे?
आपने अक्सर अपने बड़ों को यह कहते हुए सुना होगा पहले के जमाने में ऐसा नहीं होता था यह सब बीमारियां नहीं होती थी यह सच है जानते हैं क्यों उस समय यह प्रोसैस्ड फूड इंडस्ट्रीज नहीं होती थी
हमने अपने स्वाद और सुविधा के चक्कर में इन फूड इंडस्ट्रीज को मुंह लगा लिया है इन से निजात पाना मुश्किल का लगता है पर कोशिश करें तो यह कुछ हद तक कम किया जा सकता है
सबसे पहले प्लास्टिक को अपने से दूर रखें जो भी पैकेट फूड खरीदते हैं जो कुछ खरीदें उनको जरूर करें और वह खरीदें जिसमें कम से कम इन सब चीजों का इस्तेमाल किया गया है हां यह काम थोड़ा मुश्किल है पर अगर अपने को बचाना है
अपनी आने वाली जनरेशन को बचाना है तो इन सब चीजों पर थोड़ा थोड़ा ध्यान देना जरूरी है घर का बना खाना खाए, कोशिश करें आयुर्वेदिक चीजों पर रहे व, ऑर्गेनिक फल सब्जियां खरीदें, अधिक से अधिक पेड़ लगाएं तनाव रहित जीवन जिए व्यायाम करें परिवार के साथ समय बताएं.
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